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Success Story: सफाई का काम करने वाली माँ का बेटा बना अफ़सर, रातों रात बदली किस्मत

संघर्ष की रात जितनी ज्यादा अंधेरी है सफलता का सूरज उतना ही तेज चमकता है. आज हम आपको ऐसे बेटे के बारे में बताने जा रहे है जिसने जेईएन बनकर रातों-रात अपनी माँ की किस्मत बदल दी. एक गरीब माँ सफाई का काम करके घर का गुजरा चलाती थी. आईये जानते है इस गरीब माँ के लाल की कहानी.

कहते है परिस्थितियां विपरीत हो तो कुछ लोग टूट जाते हैं और कुछ लोग रिकॉर्ड तोड़ देते हैं. यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जिसने अपनी पूरी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया हैं. अनिल के पिता का देहांत जब वह 7 साल के थे तभी हो गया था, माँ सफाई का काम करके घर का गुजारा चलाती थी, अनिल का एक बड़ा भाई भी है जिसने अपने पिता का फर्ज निभाते हुए अपनी पढ़ाई का त्याग कर अपने छोटे भाई को पढ़ाया.

गरीब माँ दोनों भाई की पढ़ाई का खर्चा नही उठा सकती थी जिसके कारण बड़े बेटे को छोटी सी उमर में ही मजदूरी करने लगा दी. माँ और बड़े भाई ने अपनी सारी जरूरतों की क़ुरबानी देकर अपने छोटे बेटे को इस जगह लाकर खड़ा किया, जहां अनिल सरकारी अधिकारी बन गया.

जेईएन भर्ती परीक्षा में मिली सफलता

वाल्मीकि बस्ती में रहने वाले अनिल डूलगच ने राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा पास की है, जिसके बाद अनिल डूलगच को सरकारी अधिकारी का जेईएन पद प्राप्त हुआ. अनिल के पिता का नाम किशनलाल डूलगच था इनका निधन अनिल की 7 साल की उमर में ही हो गया था. पिता की मर्त्यु के बाद से अनिल के परिवार पर गरीबी का पहाड़ टूट पड़ा था,अपनी गरीबी को देख कर अनिल की माँ गीता देवी ने हिम्मत जुटाई और शहर के निजी स्कूल में सफाई का काम शुरू किया. लाइफ की सारी परेशानियों को भूल कर अनिल को पढ़ाया.

ऐसे की पूरी पढ़ाई

अनिल ने शुरू से ही अपनी पढ़ाई सरकारी स्कूल में की. 12वीं पास के बाद अनिल को आईआईटी का फॉर्म भरना था लेकिन काफी मुश्किलों के बाद फीस का जुगाड़ हो पाया. अनिल ने इस परीक्षा को पूरी मेहनत के साथ पास की और राष्ट्रीय प्रोधोगिकी संस्थान कुरुशेत्र से बीटेक की डिग्री प्राप्त की. बीटेक करने के बाद अनिल ने जॉब करने का सोचा और पार्ट टाइम जॉब करने लगा लेकिन पढ़ाई को दूर नहीं होने दिया.

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इसके बाद अनिल प्रतियोगी परीक्षाओं की तेयारी करने की सोच रहा था लेकिन इन सबके लिए ज्यादा फीस का होना जरूरी था लेकिन अनिल की माँ के पास इतने पैसे नही थे, फिर भी माँ ने जेसे तेसे करके पैसों का इंतजाम किया और कोचिंग में दाखिला दिलाया. अनिल ने प्राइवेट कम्पनी में जॉब किया और कोचिंग में साल की 2 लाख रूपये फ़ीस भरी. इन सारी मेहनतो के बाद प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त की.

अनिल डुलगच ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माँ और बाकि पुरे परिवार को दिया है, उनका कहना है की यदि मेरी माँ मेरा कदम कदम पर साथ नही देती तो में आज इस मुकाम तक नही पहुँच पाता. यदि जिंदगी में कमियाबी हासिल करनी हो तो पूरी जी-जान लगा कर मेहनत करनी पड़ती है तभी आसमान की उचाईयों को छूना आसन होता हैं.

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