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Success story : माँ के एक डायलॉग ने अपनी बेटी को बना दिया कामयाब, आईये जानिए टॉपर की कहानी

Shanan Dhaka Success Story : हम सबने कभी ना कभी जिंदगी में किसी का ताना सुना होगा और वो ताना दिमाक में इस तरह से बेठ जाता है, जिसके कारण इंसान काफी उचाई तक मुकाम हासिल कर लेता है, ऐसी ही एक कहानी हम आपको बताने वाले है की केसे एक माँ का डायलॉग अपनी बेटी को बना दिया कामयाब, आईये जानते है.

कहते है माँ अपने बच्चो के लिए कुछ भी कर सकती है लेकिन दुनिया में काफी बच्चे ऐसे है, जिनको अपने परिवार से कोई मतलब नही होता है, उन बच्चो को माँ-बाप का बोला हुआ चुभने लगता है, लेकिन इस बच्ची ने जो करके दिखाया है शायद ही कोई बच्चा नही कर सकता है.

भारतीय सेना में एनडीए द्वारा देश के पहले महिला बेच की टोपर शनन ढाका की कहानी देश को गर्व करने जैसी है. शनन ने बताया है की उनके आलावा 2 बहन और है हम तीनो को बिना लेंगिक भेदभाव के पाला गया है, जब शनन बहोत छोटी थी तब उनकी पूरी फैमिली एक साथ दंगल मूवी देखने गये थे.

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उनकी पूरी फैमिली को वह मूवी बेहद अच्छी लगी, आप सभी को मालूम तो होगा ही जब माँ-बाप कुछ अच्छी चीज सुन लेते है तो वो अपने बच्चों में उतारने की कोशिश करते है, ताकि उनके बच्चे लाइफ में सक्सेस हो जाये, उसी तरह शनन की मम्मी ने भी कोई डायलॉग सुना होगा, वह उनकी मम्मी शनन के साथ दोनों सिस्टर को सुनाया करती थी, शनन की माँ बोली “ये बात मेरे समझ न आई की गोल्ड तो गोल्ड होता है, छोरा लावे या छोरी” जब भी ये डायलॉग माँ बोला करती और मंद मंद मुस्काया करती थी और जब जब वो बोला करते थे, हम तीनो में जोश बढता जाता था, उसी दिन हम सब ने ठान लिया था की करेंगे तो कुछ ऐसा करेंगे जिससे हमारी माँ को गर्व हो की बेटिया भी बेटो से कम नही होती और उनको उनके बेटा नही होने का दुःख न हो.

उनके पापा फौज में ऑनरी नायब सूबेदा विजय कुमार ढाका 2020 में रिटायर हो गये थे. विजय कुमार का सपना था की उनके बच्चे भी उनकी तरह फौज में जाए और अपने देश का नाम रोशन करे. शनन और उसकी दोनों बहने जोनन व आशिन शुरू से ही आर्मी पब्लिक स्कूल में जाया करती थी. शनन पढाई और बाकि सभी कामो में बेहत होशियार थी. शनन ने 11वीं तक की पढाई आर्मी पब्लिक स्कूल रूडकी, जयपुर से की और 12वीं आर्मी पब्लिक स्कूल चंडी मंदिर से की . शनन ने आगे की पढाई डीयू के लेडी श्रीराम कॉलेज में फर्स्ट इयर बीए प्रोग्राम की पढाई कर रही है.

शनन को हमेशा से ही एक आर्मी ऑफिसर बनना था क्योकि ये लोग प्राउड के साथ अपना जीवन बिताते है. देश को किसी भी समस्या आने से पहले ही तेनात कर देते है हर अच्छाई और बुराई में जमकर मुकाबला करते है सेना की ट्रेनिंग व्यक्ति को शारीरिक और भावनात्मक रूप से मजबूत बना देता है.

आर्मी में एनडीए के पहले बेच की घोषणा के बाद से ही शनन ने मेहनत करनी स्टार्ट कर दी थी. शनन के लिए कुछ भी करना ज्यादा मुश्किल नही था. पढाई में तो वह पहले से ही होशियार थी. शनन के 10विं में 97.4 पर्सेंट व 12वीं में 98 पर्सेंट बने थे.

शनन अपनी सेहत को लेकर बहोत ध्यान रखती थी. फौजी बनने के लिए हमेशा से ही प्रिपेर रहती थी. एक्सरसाइज,जोगिंग इन सबको भी डेली रूटीन में रखती थी .

19 साल की शनन राष्ट्रीय रक्षा एनडीए की प्रवेश परीक्षा में शनन ने 10 वीं रेंक हासिल करके साबित कर दिया की इंसान जब कुछ करने की ठान लेता है तो किसी भी हालत में कामयाब होके ही बताता है.

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